Monika garg

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लेखनी कहानी -13-May-2022#नान स्टाप चैलेंज # मेरी मां लौट आयी है

छोटी सी कृषा जब भी स्कूल से लौटती झट से मम्मी के पास जाती थी बहुत देर हो गयी होती थी मां को देखे हुए ।अपनी सारी प्यास मां के अमृत मयी स्नेह से बुझाती थी। कभी दादी के पास तो कभी मां के पास कृषा का दिन भर यही चलता रहता।शाम को पापा आफिस से घर लौटते तो पापा की गोदी चढ़ कर ढेर सारा प्यार पाती ।उसकी जिंदगी उन तीनों के इर्द गिर्द घूमती थी।
पर कहते है खुशियां ज्यादा दिन नही रहती ।एक दिन कृषा सकूल गयी थी ।दादी किसी के यहां कीर्तन में गयी थी ।पीछे से सामान की होम डिलीवरी करने वाला आया।कृषा की मां ने काफी गहने पहन रखे थे उसे लालच आ गया ।कृषा की मां को अकेला जानकर वह घर मे लूटपाट के इरादें से घुस गया ।जब कृषा की मां ने विरोध किया तो जाता जाता उसके सीने मे चाकू घुसेड़ दिया।कृषा जब स्कूल से लौटी तो देखा मां को चोट लगी है एम्बूलैंस मां को ले जा रही थी।वह दौड़ कर दादी के पास गयी तो दादी बोली ,"तुम्हारी मां को चोट लगी है।वो जल्दी से अच्छी होकर आ जाएगी।"
नन्ही चार साल की कृषा ने भी दादी की बात को समझ लिया और ये मानकर बैठ गयी कि मां जल्दी ही लौटकर आयेगी।
लेकिन कृषा की मां नही लौटी ।लौटा तो उसका मृत शरीर ।सब दहाड़े मार मार कर रो रहे थे।पर नन्ही कृषा तो ये माने बैठी थी ये मां नही है मां तो अस्पताल गयी है वो लौट आयेगी।कृषा ने मां की लाश को देखकर भी एक आंसू नही निकाला तो दादी बोली,*अरे कोई इसे रुलाओ नही तो ये पागल हो जाएगी।"
पर वह टस से मस ना हुई ।उसकी मां को तो लौटना ही होगा अपनी कृषा के लिए।
दिन बीतते गए कृषा के पापा ने भी खुद को सम्हाला ताकि कृषा का ध्यान रख सके।पर कृषा हर रोज ही मां का इंतजार करती।कभी बैठक मे लगी फोटो को देखकर बोलती,"अगर आप मेरे जन्मदिन पर नही आयी तो मै आप से नाराज़ हो जाऊगी।"
दादी सारा दिन रोती थी बच्ची की मां के प्रति तडप देखकर ।आज जन्मदिन था कृषा का पापा ने आफिस से छुट्टी ले ली थी ताकि कृषा को मां की याद ना आये ।उसके सभी दोस्तों को बुलाया जब केक काटने की बारी आयी तो कृषा जिद पर अड गयी ,"मां आयेगी तभी केक काटूंगी।"
आज कृषा के पापा का सब्र का बांध टूट गया उन्होंने जोर से डांट लगाते हुए कहा,"कोई मां वा नही आयेगी तुम्हारी।"
इतने मे कृषा जोर जोर से ताली बजा कर हंसने लगी और बोली,"पापा आप भी ना कितने बुद्धू हो वो देखो मां आ गयी।"सब अचंभित होकर कृषा जिस ओर इशारा कर रही थी उस ओर देखने लगे। वहां केक पर एक तितली मंडरा रही थी कृषा के अनुसार वो कृषा की मां थी जैसे ही केक कटा वो तितली छूमंतर हो गयी।
ऐसे ही एक दिन एक चिड़िया ने उसकी खिड़की पर आ कर चींची की तो उसकी आंख खुल गयी वो नाचते हुए नीचे उतर कर आयी और दादी से बोली आज मां चिड़िया बन कर मुझे जगाने आयी थी।सारा दिन बेचारी ज़र्रे ज़र्रे में अपनी मां को ढूंढती रहती।
एक दिन कृषा को बहुत तेज बुखार आ गया बेहोशी की हालत मे वह बड़बड़ाने लगी,"मां तुम लोट आओ ना अपनी कृषा के पास मेरा मन फूलों वाली कटोरी में खीर खाने का कर रहा है जो तुम हमेशा बनाती थी।"
कृषा की दादी से उसकी हालत देखी नही जाती थी उसने उसी के शहर मे रहने वाले उसके नाना जी से उनकी छोटी बेटी जो कृषा की मां जैसी ही थी शक्ल मे उसे झोली पसार कर मांग लिया था।जब कृषा के सिर मे बुखार चढ़ गया और वो नीम बेहोशी में भी मां की रट लगाए थी तो कृषा की दादी ने उसकी मोसी को घर बुलाया और कृषा की मां की साड़ी और गहने देकर कहा ,"बेटी अपनी बहन की आखिरी निशानी को बचा लो।"
कृषा की मोसी ने बिल्कुल उसकी मां जैसा श्रृंगार किया और फूलों की कटोरी मे खीर लेकर बड़े प्यार से कृषा को जगाने लगी।कृषा ने अधखुली आंखों से जब मां की साड़ी मे मां को देखा तो आंखें खोल कर जोर जोर से चिल्लाने लगी,"देखो पापा, देखो दादी मेरी मां लौट आयी।वो मेरे लिए फूलों की कटोरी में खीर लेकर खड़ी है ।"उसने दो चम्मच खीर के खाये और फिर से आंखें बंद कर ली।
सुबह जब उसकी आंख खुली तो वह एकदम से ठीक थी वह दौडकर किचन मे गयी कृषा की मां जो वास्तव मे उसकी मौसी थी वहां खड़ी उसके लिए खिचड़ी बना रही थी कृषा जोर से मां कहकर उससे लिपट गई फिर दौड़ कर माली काका के पास गयी और बोली,"अब आप जो हर रोज फूलों की माला बनाते है ना मां की तस्वीर पर चढ़ाने के लिए वो अब ना बनाए।
क्यों कि मेरी मां लौट आयी है।"

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3 Comments

shweta soni

07-Jul-2022 12:08 AM

भावनात्मक रचना 👌👌

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Gunjan Kamal

06-Jul-2022 10:32 PM

शानदार प्रस्तुति 👌

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Raziya bano

06-Jul-2022 07:56 PM

Bahut khub

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